बिहार सरकार का ऐतिहासिक फैसला: महिलाओं को सभी सरकारी नौकरियों में मिलेगा 35% क्षैतिज आरक्षण

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पटना, 8 जुलाई 2025 – बिहार सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने और सरकारी सेवाओं में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब राज्य की मूल निवासी महिलाओं को सभी सरकारी विभागों, सेवाओं और संवर्गों में सीधी नियुक्तियों में 35 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण मिलेगा। यह फैसला राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की।

यह निर्णय केवल एक नीति नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन की नींव है। यह उन महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण है जो वर्षों से नौकरी की तैयारी कर रही थीं, लेकिन प्रतिस्पर्धा और सामाजिक परिस्थितियों के कारण पिछड़ रही थीं।

फैसला क्या कहता है किनको मिलेगा आरक्षण

सामान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना के अनुसार:

यह आरक्षण सभी सरकारी सेवाओं/संवर्गों पर लागू होगा।

यह केवल सीधी नियुक्तियों में मान्य होगा।

लाभ केवल उन्हीं महिलाओं को मिलेगा जो बिहार की मूल निवासी हों।

यह स्थायी और अनुबंध दोनों प्रकार की भर्तियों पर लागू हो सकता है, बशर्ते कि वे सीधी भर्ती हों।


 इस फैसले की ज़रूरत क्यों थी?

बिहार की महिलाएं लंबे समय से सामाजिक और आर्थिक बाधाओं से जूझती रही हैं। शिक्षा में भले ही उनका नामांकन बढ़ा हो, लेकिन सरकारी नौकरी पाने में उनका प्रतिनिधित्व अभी भी बेहद कम है। कई बार पारिवारिक जिम्मेदारियाँ, सामाजिक दबाव, और सीमित संसाधन उन्हें प्रतियोगिता से दूर रखते हैं।

यह आरक्षण महिलाओं को सिर्फ नौकरी नहीं देगा, बल्कि एक सशक्त पहचान और स्वतंत्रता का अवसर देगा। यह फैसला लड़कियों को पढ़ने, आगे बढ़ने और सपने देखने की ताकत देगा।

सरकार की मंशा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस फैसले को महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक “क्रांतिकारी कदम” बताया। सरकार पहले ही महिला आरक्षण पंचायतों में, साइकिल योजना, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, और बाल विवाह व दहेज विरोधी अभियान जैसे कई प्रयास कर चुकी है। अब यह रोजगार के क्षेत्र में सीधा हस्तक्षेप है।

इससे यह भी संकेत मिलता है कि राज्य सरकार महिलाओं को सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि निर्णय लेने की भूमिका में लाना चाहती है।

बिहार सरकार का यह फैसला सिर्फ एक आरक्षण नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी सोच है। यह महिलाओं को सम्मान, अवसर और आर्थिक स्वतंत्रता की ओर बढ़ाने वाला कदम है। अब ज़रूरत है कि इसे ईमानदारी, पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ लागू किया जाए, ताकि वास्तव में राज्य की हर बेटी को इसका लाभ मिल सके।

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